‘सहयोग’ पोर्टल क्या है, जिसे एक्स (X) ने ‘सेंसरशिप पोर्टल’ कहा है?
चर्चा में क्यों है?
- केंद्र सरकार ने हाल ही में कर्नाटक उच्च न्यायालय को सूचित किया कि एलन मस्क के स्वामित्व वाले एक्स द्वारा सरकार के सहयोग पोर्टल को “सेंसरशिप पोर्टल” के रूप में वर्णित करना “दुर्भाग्यपूर्ण” और “निंदनीय” है। उच्च न्यायालय को सौंपे गए एक विस्तृत जवाब में, केंद्र ने भारत के सूचना-अवरोधन ढांचे को चुनौती देने वाली अपनी याचिका में एक्स (X) कारपोरेशन द्वारा किए गए दावों का विरोध किया।
- उल्लेखनीय है कि उच्च न्यायालय वर्तमान में सरकार द्वारा सोशल मीडिया पर सामग्री को मॉडरेट करने और हटाने का आदेश देने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (IT Act) की धारा 79(3)(b) के उपयोग करने के खिलाफ एक्स (X) कारपोरेशन की चुनौती पर सुनवाई कर रहा है।
‘सहयोग’ पोर्टल क्या है?
- ‘सहयोग’ पोर्टल को 2024 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इंटरनेट पर आपत्तिजनक सामग्री को ब्लॉक करने के आदेशों में तेजी लाने के लिए लॉन्च किया था। इसे भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) द्वारा प्रबंधित किया जाता है।
- इस पोर्टल ने भारत में सुरक्षित साइबरस्पेस बनाए रखने की दिशा में त्वरित, समन्वित कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए अधिकृत एजेंसियों, आईटी मध्यस्थों और इंटरनेट सेवा प्रदाताओं (ISP) को एक ही मंच पर एक साथ लाया।
- राज्यसभा में पूछे गए एक प्रश्न के जवाब के अनुसार सहयोग पोर्टल को आईटी अधिनियम, 2000 की धारा 79(3)(b) के तहत उपयुक्त सरकार या उसकी एजेंसी द्वारा आईटी मध्यस्थों को नोटिस भेजने की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए लॉन्च किया गया है।
- उल्लेखनीय है कि दिसंबर, 2024 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने शबाना बनाम एनसीटी दिल्ली सरकार के अपने आदेश में आईटी अधिनियम, 2000 की धारा 79(3)(b) के तहत गैरकानूनी सामग्री को हटाने के लिए ‘सहयोग’ पोर्टल के संचालन पर जोर दिया। दिल्ली उच्च न्यायालय ने आईटी मध्यस्थों को ‘सहयोग’ पोर्टल पर ऑनबोर्ड होने और अगली सुनवाई के दौरान उनकी ऑनबोर्डिंग की स्थिति प्रदान करने का भी निर्देश दिया है।
सहयोग पोर्टल पर आपत्तिजनक सामग्री को रोकने की प्रक्रिया:
- केंद्र सरकार, राज्य पुलिस या कानून प्रवर्तन एजेंसी से संबंधित अधिकृत एजेंसी आपत्तिजनक वेब सामग्री को चिह्नित कर सकती है और सहयोग पोर्टल पर इसे ब्लॉक करने का अनुरोध कर सकती है।
- उनका अनुरोध प्राप्त होने के बाद, संबंधित अनुरोध कथित आपत्तिजनक सामग्री को ब्लॉक करने के लिए आईटी मध्यस्थों या ISP के पास जाता है।
- आईटी मध्यस्थों/सोशल मीडिया मध्यस्थों के मामले में, नोटिस सीधे सम्बंधित मध्यस्थ को भेजे जाता है। वहीं ISP के मामले में, नोटिस दूरसंचार विभाग (DoT) को भेजा जाता है और DoT इसे आगे ISP को भेजता है।
- आईटी मध्यस्थों या ISP पर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट सहयोग पोर्टल के राष्ट्रीय डैशबोर्ड के माध्यम से सभी संबंधित हितधारकों को दिखाई देगी। आईटी मध्यस्थों के पास अधिकृत एजेंसियों से अतिरिक्त जानकारी/साक्ष्य मांगने का विकल्प भी है।
‘सहयोग’ पोर्टल पर कौन-कौन शामिल है?
- अब तक 15 आईटी मध्यस्थ इस पोर्टल पर आ चुके हैं, जिनमें जोश, क्वोरा, टेलीग्राम, एप्पल, गूगल, अमेजन, यूट्यूब, पीआई डेटा सेंटर और शेयरचैट शामिल हैं।
- 31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने आईटी अधिनियम की धारा 79(3)(b) के अनुसार अपने अधिकारियों को अधिसूचित किया है और सहयोग पोर्टल पर शामिल किया है।
भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) के बारे में:
- भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) देश में साइबर अपराध से समन्वित और व्यापक तरीके से निपटने के लिए गृह मंत्रालय, भारत सरकार की एक पहल है।
- I4C को 10 जनवरी 2020 को राष्ट्र को समर्पित किया गया था।
- I4C नागरिकों के लिए साइबर अपराध से संबंधित सभी मुद्दों से निपटने पर ध्यान केंद्रित करता है, जिसमें विभिन्न कानून प्रवर्तन एजेंसियों और हितधारकों के बीच समन्वय में सुधार, साइबर अपराध से निपटने के लिए भारत की समग्र क्षमता में परिवर्तन लाना और नागरिक संतुष्टि के स्तर में सुधार करना शामिल है।
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