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बैंकों में जमाओं पर बीमा कवर क्या है, और इसे बढ़ाने से लोगों को किस प्रकार मदद मिलेगी?

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बैंकों में जमाओं पर बीमा कवर क्या है, और इसे बढ़ाने से लोगों को किस प्रकार मदद मिलेगी?

चर्चा में क्यों है?

  • वित्तीय सेवा सचिव एम नागराजू ने 17 फरवरी को कहा कि भारत सरकार बैंक जमाओं के लिए बीमा कवर को 5 लाख रुपये की मौजूदा सीमा से बढ़ाने पर विचार कर रही है। जमाओं के लिए बीमा कवर भारतीय रिजर्व बैंक के एक विशेष प्रभाग, ‘निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (DICGC)’ द्वारा प्रदान किया जाता है।
  • उल्लेखनीय है कि न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक जैसे मामले में सरकार के आगे की कार्यवाही पर पूछे जाने पर, नागराजू ने कहा कि “(जमा) बीमा बढ़ाने” का प्रस्ताव “सक्रिय रूप से विचाराधीन” है, और “जैसे ही सरकार मंजूरी देगी, हम इसे अधिसूचित कर देंगे”।

न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक मामले में RBI ने क्या कार्रवाई की है?

  • उल्लेखनीय है कि पिछले सप्ताह RBI द्वारा मुंबई स्थित न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक पर कई प्रतिबंध लगाए हैं, जिसमें पर्यवेक्षी चिंताओं और “खराब शासन मानकों” का हवाला देते हुए इसके निदेशक मंडल को 12 महीने के लिए बर्खास्त करना शामिल है। RBI ने बैंक को निर्देश दिया है कि वह कोई भी ऋण या अग्रिम न दे या उसका नवीनीकरण न करे; कोई निवेश न करे; उधार लेने और नई जमाराशि स्वीकार करने सहित कोई भी देनदारी न उठाए; या बिना पूर्व लिखित स्वीकृति के कोई भी भुगतान न करे या न ही करने के लिए सहमत हो। ये प्रतिबंध 13 फरवरी के बाद लागू हुए और छह महीने तक लागू रहेंगे।
  • उल्लेखनीय है कि न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक की मुंबई, ठाणे, नवी मुंबई और पुणे और गुजरात के सूरत में 30 शाखाएं हैं। मार्च 2024 के अंत में, बैंक के पास 2,436 करोड़ रुपये का जमा आधार था और इसने 2023-24 में 22.78 करोड़ रुपये और 2022-23 में 30.74 करोड़ रुपये का घाटा दर्ज किया था।

बैंक जमा राशियों का बीमा कैसे किया जाता है?

  • रिज़र्व बैंक के विशेष प्रभाग, DICGC का उद्देश्य बैंक की विफलता की स्थिति में “छोटे जमाकर्ताओं” को उनके बचत खोने के जोखिम से बचाना है। इसके लिए प्रति जमाकर्ता 5 लाख रुपये का बीमा कवर बीमित बैंक की सभी शाखाओं में जमाकर्ता द्वारा रखे गए सभी खातों (बचत, सावधि, चालू और आवर्ती जमाराशियों) के लिए है।
  • DICGC भारत में कार्यरत विदेशी बैंकों की शाखाओं, स्थानीय क्षेत्र के बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और सहकारी बैंकों सहित सभी वाणिज्यिक बैंकों का बीमा करता है।
  • हालाँकि, DICGC द्वारा प्राथमिक सहकारी समितियों का बीमा नहीं किया जाता है। साथ ही विदेशी, केंद्रीय और राज्य सरकारों द्वारा जमाराशियों और अंतर-बैंक जमा राशियों के लिए बीमा प्रदान नहीं करता है।
  • जमा बीमा के लिए प्रीमियम का भुगतान बीमित बैंक द्वारा किया जाता है। DICGC बैंक के जोखिम प्रोफाइल के आधार पर एक समान या विभेदित दर पर प्रीमियम एकत्र करता है।
  • यदि बैंक परिसमापन में चला जाता है, तो DICGC परिसमापक से दावा सूची प्राप्त होने की तिथि से दो महीने के भीतर प्रत्येक जमाकर्ता की दावा राशि 5 लाख रुपये तक का भुगतान परिसमापक को करने के लिए उत्तरदायी है। परिसमापक को प्रत्येक बीमित जमाकर्ता को सही दावा राशि वितरित करनी होगी।

जमा बीमा बढ़ाने से लोगों को किस प्रकार मदद मिलेगी?

  • रिज़र्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव ने पिछले साल कहा था कि 31 मार्च, 2024 तक पूरी तरह से सुरक्षित खाते कुल खातों का 97.8% थे, जो 80% के अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क से अधिक है। हालांकि, उन्होंने आगाह किया कि आगे चलकर चुनौतियां आने की संभावना है, क्योंकि बढ़ती और औपचारिक होती अर्थव्यवस्था में प्राथमिक और द्वितीयक बैंक जमा दोनों में तेज वृद्धि देखने को मिल सकती है।
  • ऐसे में बैंक जमाओं के बीमा कवर में वृद्धि न केवल न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक जैसे बैंक की विफलता के मामले में जमाकर्ताओं के हितों की अधिक हद तक रक्षा करेगी, बल्कि इससे बैंकिंग प्रणाली में उनका भरोसा और विश्वास भी मजबूत होगा।

 

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