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बांग्लादेश ने भारत द्वारा सीमा पर बाड़ लगाने पर आपत्ति क्यों जताई है?

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बांग्लादेश ने भारत द्वारा सीमा पर बाड़ लगाने पर आपत्ति क्यों जताई है?

चर्चा में क्यों है?

  • भारत ने 13 जनवरी को भारत में बांग्लादेश के कार्यवाहक उच्चायुक्त को “बाड़ लगाने सहित सीमा पर सुरक्षा उपायों” के बारे में तलब किया। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि उन्हें बताया गया कि भारत ने बाड़ लगाने के संबंध में दोनों सरकारों और सीमा सुरक्षा बल तथा बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश के बीच सभी समझौतों का पालन किया है।
  • यह तब हुआ जब बांग्लादेश ने ढाका में भारत के उच्चायुक्त को तलब कर “सीमा सुरक्षा बल की हालिया गतिविधियों” पर गहरी चिंता व्यक्त की, जिसमें कहा गया कि भारत ने अंतरराष्ट्रीय सीमा से संबंधित द्विपक्षीय समझौते का उल्लंघन किया है।
  • भारत और बांग्लादेश के बीच 4,096.7 किमी. की सीमा है, जो भारत की अपने किसी भी पड़ोसी देश के साथ सबसे बड़ी स्थलीय सीमा है।

भारत द्वारा सीमा पर बाड़ लगाने से जुड़ा वर्तमान विवाद क्या है?

  • हाल ही में बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (BGB) ने पश्चिम बंगाल के मालदा में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर कांटेदार तार की बाड़ के निर्माण में बाधा डालने का प्रयास किया था। इस घटना का वीडियो फुटेज सोशल मीडिया पर प्रसारित हुआ था।
  • उल्लेखनीय हैं कि अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बाड़ लगाने के BSF के प्रयास, भारत और बांग्लादेश के बीच लंबे समय से विवाद का विषय रहे हैं। बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के पतन के कुछ दिनों बाद अगस्त 2024 में पश्चिम बंगाल के कूचबिहार में भी ऐसी ही घटना हुई थी।
  • मालदा का मामला: केंद्रीय सड़क निर्माण विभाग, सीमा सुरक्षा बल (BSF) के सहयोग से, मालदा के कालियाचक नंबर 3 ब्लॉक में भारतीय सीमा पर, राजशाही जिले में बांग्लादेश के शिबगंज के साथ एक सिंगल रो फेंस (SRF) का निर्माण कर रहा था, जब BGB ने हस्तक्षेप किया।

भारत-बांग्लादेश सीमा पर बाड़ लगाने की वर्तमान स्थिति:

  • भारत के गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, पश्चिम बंगाल सहित सभी पूर्वी राज्यों को कवर करने वाली भारत-बांग्लादेश सीमा पर कुल 4,156 किलोमीटर में से 3,141 किलोमीटर पर बाड़ लगाई जा चुकी है।
  • 2023 में, असम में अवैध प्रवासियों को भारतीय नागरिकता देने से संबंधित नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई के दौरान, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि पश्चिम बंगाल के असहयोग और राज्य में लंबित भूमि अधिग्रहण के कारण भारत-बांग्लादेश सीमा बाड़ लगाने की परियोजना में बाधा उत्पन्न हुई है। पश्चिम बंगाल बांग्लादेश के साथ 2,216.7 किलोमीटर की सीमा साझा करता है, जिस पर 2023 में उस समय तक 81.5 प्रतिशत बाड़ लगाई जा चुकी थी।
  • उल्लेखनीय है कि भारत-बांग्लादेश सीमा पर बिना बाड़ वाली जमीन के छोटे-छोटे टुकड़े हैं, जो ग्रामीणों की आपत्तियों, इलाके या बांग्लादेश के साथ चल रही बातचीत के कारण लंबित हैं।
  • पश्चिम बंगाल समेत पांच पूर्वी राज्यों से लगी पूरी सीमा का 900 किलोमीटर से ज़्यादा हिस्सा नदी से घिरा हुआ है। पानी पर बाड़ लगाना संभव नहीं है, इसलिए इन हिस्सों की सुरक्षा BSF की जल शाखा करती है।

भारत-बांग्लादेश सीमा प्रबंधन दिशा-निर्देश से जुड़ी चुनौती:

  • सीमा प्रबंधन के लिए 1975 के संयुक्त भारत-बांग्लादेश दिशा-निर्देशों के अनुसार, शून्य रेखा या अंतर्राष्ट्रीय सीमा से 150 गज के भीतर किसी भी पक्ष द्वारा कोई रक्षा संरचना नहीं बनाई जा सकती है।
  • BSF के पूर्व अतिरिक्त महानिदेशक एस के सूद ने कहा कि भारत तार की बाड़ को रक्षा संरचना नहीं मानता है, लेकिन बांग्लादेश और पाकिस्तान ऐसा मानते हैं।
  • उनके अनुसार भारत और बांग्लादेश के बीच अंतर्राष्ट्रीय सीमा की जटिलता के कारण, जो विभाजन की विरासत का परिणाम है, पश्चिम बंगाल में लगभग 2,217 किलोमीटर लंबी सीमा पर, कई गांव बाड़ की रेखा के भीतर आते हैं। कभी-कभी, गाँव और घर ठीक अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर स्थित होते हैं। साथ ऐसे कई मामले हैं जहाँ अंतर्राष्ट्रीय सीमा से 150 गज या उससे आगे बाड़ नहीं बनाई जा सकती है, क्योंकि सीमा गाँवों या नदियों द्वारा चिह्नित है।
  • खास मामलों में जहां इलाके और आबादी के कारण 1975 के सीमा दिशा-निर्देशों के तहत बाड़ नहीं लगाई जा सकती, बांग्लादेश को सूचित किया जाता हैं कि सीमा के पास बाड़ लगाने की जरूरत है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय सीमा से 20 गज की दूरी पर गांव हैं और गांव को स्थानांतरित नहीं किया जा सकता है, या कोई जल निकाय है तो सीमा पर ही बाड़ लगाने की कोशिश किया जाता है।
  • ऐसे मामलों में, BGB के साथ बातचीत की जाती है। बाड़ लगाने पर आपसी सहमति बनने के बाद, BSF द्वारा निर्माण शुरू किया जाता है।

सीमा पर बाड़ लगाने को लेकर बांग्लादेश की आपत्तियां क्या हैं?

  • सिंगल रो फेंसिंग पर बांग्लादेश की आपत्तियाँ मूलतः दो आयामी हैं: पहला, जिसका सबसे अधिक हवाला दिया जाता है, वह है 1975 का समझौता जिसके अनुसार अंतर्राष्ट्रीय सीमा के 150 गज के भीतर फेंसिंग नहीं की जा सकती। दूसरा तर्क यह है कि फेंसिंग से अंतरराष्ट्रीय सीमा पर रहने वाले निवासियों को असुविधा होती है।
  • उल्लेखनीय है कि SRF मुख्य रूप से जानवरों की आवाजाही को रोकने और सीमा पार अपराधों को रोकने के लिए बनाया गया है। इस फेंसिंग में कोई सुरक्षा क्षमता नहीं है। सुरक्षा क्षमता वाली संरचनाओं में कंक्रीट की दीवार/बंकर/कंक्रीट पिल बॉक्स, स्टील टावर, खाई सह बांध और सीमा पर छिपे हुए बंकर होते हैं। इन्हें बांग्लादेश द्वारा उनकी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा माना जा सकता है, लेकिन SRF को नहीं।
  • साथ ही बांग्लादेश की BGB को भारत द्वारा “स्मार्ट फेंसिंग” नामक सीमा बाड़ लगाने से भी परेशानी है, जो एक प्रकार की सीमा बाड़ है जिसमें CCTV और इलेक्ट्रॉनिक निगरानी उपकरण लगे होते हैं। BGB ने अंतरराष्ट्रीय सीमा के 100 गज के भीतर इसकी मौजूदगी पर आपत्ति जताते हुए कहा कि इससे भारत को उनके क्षेत्र में देखने की क्षमता मिलती है।
  • जबकि भारत का मानना है कि यह “स्मार्ट फेंसिंग” सीमा के 150 गज के भीतर या अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित गांवों के लिए थी। अनुमान है कि लगभग 60 प्रतिशत सीमा पार अपराध वहीं होते हैं जहां कोई बाड़ नहीं होती और जहां गांव अंतरराष्ट्रीय सीमा पर होते हैं। इसलिए इस बाड़ लगाने से इस पर अंकुश लगने की उम्मीद थी।

 

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