ला नीना को लेकर भविष्यवाणी में गलती क्यों हुई?
परिचय:
- वर्ष के समाप्त होने में अब कुछ ही दिन शेष रह गए हैं, तथा ऐसे पर्याप्त कारण और आंकड़े हैं जो यह सुझाते हैं कि 2024, 2016 को पीछे छोड़ते हुए, अब तक का सबसे गर्म वर्ष हो सकता है। इसके कई कारणों में से एक यह है कि पूर्वानुमानों के बावजूद ला नीना का उदय नहीं होना है।
ला नीना क्या है?
- ‘ला नीना’ ‘एल नीनो दक्षिणी दोलन (ENSO)’ के रूप में जाना जाने वाला जलवायवी परिघटना का एक चरण है, जो मध्य और पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर के साथ समुद्र के तापमान में परिवर्तन के साथ-साथ वायुमंडल में उतार-चढ़ाव के कारण होती है।
- ENSO के तीन चरण हैं – गर्म (एल नीनो), ठंडा (ला नीना), और तटस्थ – जो दो से सात वर्षों के अनियमित चक्रों में होते हैं। भारत में, अल नीनो कम वर्षा और उच्च तापमान से जुड़ा है, जबकि ला नीना अधिक वर्षा और कम तापमान से जुड़ा है।
ENSO के तीन चरणों की प्रक्रिया:
तटस्थ चरण:
- तटस्थ चरण में, प्रशांत महासागर का पूर्वी भाग (दक्षिण अमेरिका के उत्तर-पश्चिमी तट के पास) पश्चिमी भाग (फिलीपींस और इंडोनेशिया के पास) की तुलना में ठंडा होता है।
- यह प्रचलित ट्रेड विंड प्रणालियों के कारण होता है जो पूर्व से पश्चिम की ओर चलती हैं, जो समुद्र के गर्म सतह के पानी को इंडोनेशियाई तट की ओर बहा ले जाती हैं, जिसके वजह से नीचे से ठंडा पानी विस्थापित पानी की जगह ऊपर आता है।
अल नीनो चरण:
- अल नीनो चरण में, ट्रेड विंड प्रणालियाँ कमजोर हो जाती हैं, जिससे दक्षिण अमेरिकी तट से गर्म पानी का कम विस्थापन होता है।
- नतीजतन, पूर्वी प्रशांत महासागर सामान्य से ज्यादा गर्म हो जाता है।
ला नीना चरण:
- ला नीना चरण में इसके विपरीत होता है – ट्रेड विंड सामान्य से ज़्यादा तेज़ हो जाती हैं, और बड़ी मात्रा में पानी को पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र की ओर धकेल देती हैं। जिससे प्रशांत महासागर का पूर्वी भाग अपेक्षाकृत ज्यादा ठंडा हो जाता है।
इस वर्ष ENSO के पूर्वानुमान क्या थे?
- इस वर्ष, एकत्रित महासागर संकेतों के आधार पर मौसम मॉडल ने अगस्त-सितंबर के दौरान ला नीना के उभरने की संभावना का सुझाव दिया था। बाद में इन अनुमानों को अपडेट किया गया और अनुमान लगाया गया कि ला नीना अक्टूबर-दिसंबर में उभरेगा।
- हालांकि, नवीनतम अनुमान अब कहते हैं कि दिसंबर और फरवरी के बीच एक छोटा और कमजोर ला नीना उभरेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि कमजोर ला नीना मार्च-मई 2025 तक ENSO के तटस्थ चरण में परिवर्तित हो सकता है।
इस साल ला नीना की भविष्यवाणियाँ क्यों चूक गईं?
- आम तौर पर, समुद्री सतह के तापमान में स्पष्ट परिवर्तन के मामलों में मौसम मॉडल की सटीकता अधिक होती है, यानी, जब मजबूत एल नीनो या ला नीना होने की संभावना होती है।
- इस बार ऐसा होने की संभावना नहीं है, जिसके कारण मौसम मॉडल सही परिणाम नहीं दे पा रहे हैं, क्योंकि वे अपने इनपुट में तापमान में होने वाले छोटे-छोटे बदलावों को ध्यान में नहीं रख पा रहे हैं। इसके अलावा, कुछ अन्य जलवायु संबंधी कारण भी मॉडल के गलत होने में भूमिका निभा सकते हैं।
महासागर-वायुमंडल युग्मन:
- इस वर्ष, महासागर और वायुमंडल के बीच परस्पर क्रिया अपेक्षा के अनुरूप नहीं थी – जिसके कारण भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर के साथ तापमान गर्म या सामान्य के करीब रहा। ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि अल नीनो की स्थिति 2024 तक जारी रही, जिसका अर्थ है कि इसका प्रभाव महासागर के तापमान के संदर्भ में जारी रहा। युग्मित महासागर-वायुमंडल प्रणाली ने ENSO-तटस्थ स्थितियों को प्रतिबिंबित किया।
पश्चिमी हवा की विसंगतियाँ:
- समुद्र की सतह के तापमान को बनाए रखने और नियंत्रित करने में वायुमंडल का एक मजबूत संबंध है। सितंबर-अक्टूबर के दौरान, जब ला नीना चरण में संक्रमण की संभावना थी, पश्चिमी हवा की विसंगतियाँ प्रबल थीं। जलवायु विज्ञान की दृष्टि से, पश्चिमी हवा की विसंगतियाँ ला नीना के विकास के लिए प्रतिकूल हैं।
मानसून और ENSO:
- चूंकि एल नीनो चरण समाप्त हो गया है और ENSO तटस्थ चरण भारतीय ग्रीष्मकालीन मानसून की शुरुआत के साथ मेल खाता है, इसलिए इस वर्ष जून-सितंबर में भारत में प्रचुर मात्रा में और सामान्य से अधिक वर्षा हुई। मानसून और ENSO एक दूसरे के साथ परस्पर क्रिया करते हैं। एक अच्छा मानसून पश्चिमी हवा की विसंगतियों को प्रभावित कर सकता है, जो बदले में ला नीना की शुरुआत में देरी/प्रभाव डाल सकता है।
‘ला नीना’ और भारत में बेहतर मानसूनी वर्षा:
- ला नीना स्थिति में – मध्य और पूर्व-मध्य भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में समुद्र की सतह के तापमान के ठंडा होने से जुड़ा जलवायु पैटर्न – आमतौर पर भारत में अच्छी मानसूनी वर्षा से जुड़ा होता है। पिछले आंकड़ों से पता चलता है कि 1954 के बाद से पिछले 22 ला नीना वर्षों में से अधिकांश में ग्रीष्मकालीन मानसून या तो ‘सामान्य’ या ‘सामान्य से ऊपर’ था।
- वहीं 1951 से 2023 तक के आंकड़ों से पता चलता है कि नौ वर्षों में जब ला नीना के पहले अल नीनो की स्थिति रही हो तो, ग्रीष्मकालीन मानसूनी वर्षा, दो वर्षों में ‘सामान्य से ऊपर’, पांच वर्षों में ‘अतिरिक्त’ और दो वर्षों ‘सामान्य’ के सकारात्मक पक्ष पर में रही है।
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