दुनिया भर में ‘भूमि क्षरण’ से मानवता को जीवित रखने की पृथ्वी की क्षमता को खतरा:
चर्चा में क्यों है?
- संयुक्त राष्ट्र की एक नई रिपोर्ट, ‘स्टेपिंग बैक फ्रॉम द प्रीसिपिस: ट्रांसफॉर्मिंग लैंड मैनेजमेंट टू स्टे इन द प्लेनेटरी बाउंड्री’, में पाया गया है कि भूमि क्षरण की समस्या पृथ्वी की मानवता को बनाए रखने की क्षमता को कम कर रहा है, और इसे उलटने में विफलता आने वाली पीढ़ियों के लिए चुनौतियां खड़ी करेगी।
- उल्लेखनीय है कि यह अध्ययन ‘मरुस्थलीकरण का मुकाबला करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCCD)’ द्वारा जर्मनी के पॉट्सडैम इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट इम्पैक्ट रिसर्च के सहयोग से किया गया है। यह अध्ययन 2 दिसंबर, सऊदी अरब के रियाद में UNCCD के कॉन्फ्रेंस ऑफ द पार्टीज (COP16) के 16वें सत्र के शुरू होने से एक दिन पहले, को प्रकाशित हुआ था।
भूमि क्षरण क्या होता है?
- UNCCD के अनुसार, भूमि क्षरण की परिघटना वर्षा सिंचित फसल भूमि, सिंचित फसल भूमि, या रेंज, चारागाह, वन और वुडलैंड्स की जैविक या आर्थिक उत्पादकता और जटिलता में कमी या हानि को दर्शाता है, जो भूमि उपयोग और प्रबंधन प्रथाओं सहित दबावों के संयोजन के परिणामस्वरूप होती है।
- इस रिपोर्ट के अनुसार हर साल दस लाख वर्ग किलोमीटर भूमि का क्षरण हो रहा है, और अनुमान है कि 1.5 करोड़ वर्ग किलोमीटर भूमि क्षरण से पहले से प्रभावित हो चुकी है, जो अंटार्कटिका के पूरे महाद्वीप से अधिक है।
भूमि क्षरण चिंता का विषय क्यों है?
मानव एवं पारिस्थितिक तंत्र पर भूमि क्षरण का दुष्प्रभाव:
- भूमि क्षरण पृथ्वी के चारों ओर मनुष्यों और पारिस्थितिकी तंत्रों पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। उदाहरण के लिए:
- यह खाद्य उत्पादन की गुणवत्ता और मात्रा को कम करके कुपोषण के जोखिम को बढ़ाता है।
- यह जल और खाद्य जनित रोगों के प्रसार में योगदान देता है जो खराब स्वच्छता और स्वच्छ पानी की कमी के परिणामस्वरूप होते हैं।
- यह मिट्टी के कटाव के कारण श्वसन संबंधी बीमारियों का कारण बन सकता है।
जल प्रणाली का प्रदूषण:
- भूमि क्षरण के कारण समुद्री और मीठे पानी की प्रणालियाँ भी प्रभावित होती हैं। उदाहरण के लिए, उर्वरक और कीटनाशकों को ले जाने वाली मिट्टी का क्षरण जल निकायों में बह जाता है, जिससे वहाँ रहने वाले जीव-जंतुओं और उन पर निर्भर स्थानीय समुदायों दोनों को नुकसान पहुँचता है।
जलवायु परिवर्तन में भी योगदान:
- भूमि क्षरण जलवायु परिवर्तन में भी योगदान देता है।
- उल्लेखनीय है कि दुनिया की मिट्टी सबसे बड़ी स्थलीय कार्बन सिंक है। जब भूमि का क्षरण होता है, तो मिट्टी का कार्बन और नाइट्रस ऑक्साइड के साथ वायुमंडल में मुक्त हो सकता है।
- इससे ग्लोबल वार्मिंग और भी बढ़ सकती है।
वृक्षों एवं मिट्टी की कार्बन सिंक क्षमता पर दुष्प्रभाव:
- इस नई रिपोर्ट में कहा गया है कि भूमि क्षरण ने पिछले दशक में पेड़ों और मिट्टी जैसे भूमि पारिस्थितिकी तंत्रों की मानव-जनित कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने की क्षमता को 20% तक कम कर दिया है।
- पहले, ये पारिस्थितिकी तंत्र इस तरह के प्रदूषण का लगभग एक-तिहाई हिस्सा अवशोषित कर सकते थे।
भूमि क्षरण का कारण क्या है?
- अस्थायी कृषि पद्धतियाँ: रासायनिक इनपुट, कीटनाशकों और पानी के डायवर्जन का अत्यधिक उपयोग जैसी अस्थाई कृषि पद्धतियाँ भूमि क्षरण के सबसे प्रमुख कारण हैं। क्योंकि ऐसी प्रथाओं से वनों की कटाई, मिट्टी का कटाव और प्रदूषण होता है।
- जलवायु परिवर्तन: भूमि क्षरण न केवल जलवायु परिवर्तन में योगदान देता है बल्कि इससे प्रेरित भी होता है। जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (IPCC) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्लोबल वार्मिंग ने भारी वर्षा की आवृत्ति, तीव्रता और मात्रा में वृद्धि और गर्मी के तनाव में वृद्धि करके भूमि क्षरण को और खराब कर दिया है।
- तेजी से शहरीकरण: अगला कारण तेजी से शहरीकरण है, जिसने हैबिटेट विनाश, प्रदूषण और जैव विविधता हानि में योगदान देकर भूमि क्षरण को तेज कर दिया है।
दुनिया कौन से क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित हैं?
- इस रिपोर्ट में दक्षिण एशिया, उत्तरी चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका में हाई प्लेन्स और कैलिफोर्निया और भूमध्य सागर के आस-पास जैसे शुष्क क्षेत्रों में भूमि क्षरण के कई हॉटस्पॉट की पहचान की गई है। मानवता का एक तिहाई हिस्सा अब शुष्क भूमि पर रहता है, जिसमें अफ्रीका का तीन-चौथाई हिस्सा शामिल है।
- इसमें यह भी उल्लेख किया गया है कि भूमि क्षरण कम आय वाले देशों को असमान रूप से प्रभावित करता है।
नोट : आप खुद को नवीनतम UPSC Current Affairs in Hindi से अपडेट रखने के लिए Vajirao & Reddy Institute के साथ जुडें.
नोट : हम रविवार को छोड़कर दैनिक आधार पर करेंट अफेयर्स अपलोड करते हैं
Read Current Affairs in English ⇒