‘राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC)’ ने सोशल मीडिया पर बढ़ते बाल शोषण सामग्री को लेकर स्वतः संज्ञान लिया:

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC)’ ने सोशल मीडिया पर बढ़ते बाल शोषण सामग्री को लेकर स्वतः संज्ञान लिया:

  • राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने एक मीडिया रिपोर्ट का स्वतः संज्ञान लिया है जिसमें भारत में सोशल मीडिया पर बाल यौन शोषण सामग्री (CSAM) के प्रसार में 250-300% वृद्धि का हवाला दिया गया है। NHRC ने कहा कि सामग्री विदेशी मूल की है, और भारतीय जांच एजेंसियों को अब तक भारत में बनी किसी भी बाल यौन शोषण सामग्री का पता नहीं चला है।

  • यह देखा गया कि ये सामग्री “जीवन, स्वतंत्रता और नागरिकों के सम्मान से संबंधित मानव अधिकारों का उल्लंघन” है, और “सोशल मीडिया पर बच्चों के यौन शोषण के खतरे से” से छोटे बच्चों की सुरक्षा पर ध्यान देना होगा।
  • उल्लेखनीय है कि मानवाधिकार आयोग ऑनलाइन बाल यौन शोषण सामग्री (CSAM) के मानवाधिकारों पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों से चिंतित है क्योंकि इससे बच्चों को अपूरणीय मनोवैज्ञानिक क्षति हो सकती है, जिससे उनकी वृद्धि और विकास प्रभावित हो सकता है।
  • तदनुसार, आयोग ने दिल्ली के पुलिस आयुक्त; सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस महानिदेशक; निदेशक, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी); और केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के सचिव, सोशल मीडिया पर इस तरह के खतरे को रोकने के लिए उठाए गए कदमों पर छह सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट मांगते हुए नोटिस जारी किया है।

मामलों पर मीडिया रिपोर्ट:

  • NHRC के बयान में मीडिया रिपोर्ट के हवाले से कहा गया है कि “वर्ष 2023 में अब तक बाल यौन शोषण सामग्री के प्रसार से संबंधित 4,50,207 मामले सामने आए हैं। इनमें से दिल्ली पुलिस ने 3,039 मामलों में कार्रवाई की है जबकि 4,47,168 मामलों का अभी अध्ययन किया जा रहा है। वर्ष 2022 में 2,04,056, वर्ष 2021 में 1,63,633 और 2020 में 17,390 मामले दर्ज किए गए।
  • बयान में कहा गया है कि “कुछ मामलों में, भारत में संबंधित पिता, भाइयों और बहनों द्वारा छोटे बच्चों की प्यार से खींची गई तस्वीरों को भी एक अमेरिकी एनजीओ द्वारा बाल यौन शोषण के रूप में वर्गीकृत किया गया है”।
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